बुरी आदतें

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  • और दाखरस से मतवाले न बनो, क्‍योंकि इस से लुचपन होता है, पर आत्मा से परिपूर्ण होते जाओ।
    इफिसियों ५:१८
  • ्‍योंकि लिखा है, कि प्रभु कहता है, मेरे जीवन की सौगन्‍ध कि हर एक घुटना मेरे साम्हने टिकेगा, और हर एक जीभ परमेश्वर को अंगीकार करेगी... सो हम में से हर एक परमेश्वर को अपना अपना लेखा देगा।
    रोमियों १४:११, १२
  • इसलिये हे भाइयों, मैं तुम से परमेश्वर की दया स्मरण दिला कर बिनती करता हूं, कि अपने शरीरों को जीवित, और पवित्र, और परमेश्वर को भावता हुआ बलिदान करके चढ़ाओ; यही तुम्हारी आत्मिक सेवा है... और इस संसार के सदृश न बनो; परन्‍तु तुम्हारी बुद्धि के नए हो जाने से तुम्हारा चाल-चलन भी बदलता जाए, जिस से तुम परमेश्वर की भली, और भावती, और सिद्ध इच्‍छा अनुभव से मालूम करते रहो।
    रोमियों १२:१, २
  • क्‍या तुम नहीं जानते, कि अन्यायी लोग परमेश्वर के राज्य के वारिस न होंगे धोखा न खाओ, न वेश्यागामी, न मूर्तिपूजक, न परस्त्रीगामी, न लुच्‍चे, न पुरूषगामी... न चोर, न लोभी, न पियक्‍कड़, न गाली देनेवाले, न अन्‍धेर करनेवाले परमेश्वर के राज्य के वारिस होंगे... और तुम में से कितने ऐसे ही थे; परन्‍तु तुम प्रभु यीशु मसीह के नाम से और हमारे परमेश्वर के आत्मा से धोए गए, और पवित्र हुए और धर्मी ठहरे।
    १ कुरिन्थियों ६:९-११
  • सब वस्‍तुएं मेरे लिए उचित तो हैं, परन्‍तु सब वस्‍तुएं लाभ की नहीं, सब वस्‍तुएं मेरे लिए उचित हैं, परन्‍तु मैं किसी बात के आधीन न हूंगा।
    १ कुरिन्थियों ६:१२
  • ऐसे ही तुम भी अपने आप को पाप के लिए तो मरा, परन्‍तु परमेश्वर के लिए मसीह यीशु में जीवित समझो... इसलिए पाप तुम्हारे मरणहार शरीर में राज्य न करे, कि तुम उस की लालसाओं के अधीन रहो... और न अपने अंगो को अधर्म के हथियार होने के लिए पाप को सौंपो, पर अपने आप को मरे हुओं में से जी उठा हुआ जानकर परमश्‍ेवर को सौंपो, और अपने अंगो को धर्म के हथियार होने के लिए परमेश्वर को सौंपो।
    रोमियों ६:११-१३
  • सो यदि पुत्र तुम्हें स्‍वतंत्र करेगा, तो सचमुच तुम स्‍वतंत्र हो जाओगे।
    युहन्ना ८:३६
  • दाखमधु ठट्ठा करनेवाला और मदिरा हल्ला मचानेवाली है? जो कोई उसके कारण चूक करता है, वह बुद्धिमान नहीं।
    नीतिवचन २०:१
  • जो अपने अपराध छिपा रखता है, उसका कार्य सुफल नहीं होता, परन्तु जो उनको मान लेता और छोड़ भी देता है, उस पर दया की जायेगी।
    नीतिवचन २८:१३
  • यदि हम कहें, कि हम में कुछ भी पाप नहीं, तो अपने आप को धोखा देते हैं, और हम में सत्य नहीं... यदि हम अपने पापों को मान लें, तो वह हमारे पापों को झमा करने, और हमें सब अधर्म से शुद्ध करने में विश्वासयोग्य और धर्मी है।
    १ युहन्ना १:८, ९
  • पर आत्मा का फल प्रेम, आनन्‍द, मेल, धीरज,.. और कृपा, भलाई, विश्वास, नम्रता, और संयम हैं; ऐसे ऐसे कामों के विरोध में कोई व्यवस्या नहीं।
    गलतियों ५:२२, २३
  • तुम किसी ऐसी परीक्षा में नहीं पड़े, जो मनुष्य के सहने से बाहर है; और परमेश्वर सच्‍चा है, वह तुम्हें सामर्थ से बाहर परीक्षा में न पड़ने देगा, वरन परीक्षा के साथ निकास भी करेगा, कि तुम सह सको।
    १ कुरिन्थियों १०:१३
  • क्‍या तुम नहीं जानते, कि तुम्हारी देह पवित्र आत्मा का मन्‍दिर है जो तुम में बसा हुआ है और तुम्हें परमेश्वर की ओर से मिला है, और तुम अपने नहीं हो।
    १ कुरिन्थियों ६:१९
  • भविष्य में केवल जल ही का पीनेवाला न रह, पर अपने पेट के और अपने बार बार बीमार होने के कारण थोड़ा थोड़ा दाखरस भी काम में लाया कर।
    १ तिमुथियुस ५:२३
  • और दाखरस से मतवाले न बनो, क्‍योंकि इस से लुचपन होता है, पर आत्मा से परिपूर्ण होते जाओ।
    इफिसियों ५:१८
  • ताकि भविष्य में अपना शेष शारीरिक जीवन मनुष्यों की अभिलाषाओं के अनुसार नहीं वरन परमेश्वर की इच्‍छा के अनुसार व्यतीत करो। क्‍योंकि अन्यजातियों की इच्‍छा के अनुसार काम करने, और लुचपन की बुरी अभिलाषाओं, मतवालापन, लीलाक्रीड़ा, पियक्‍कड़पन, और घृणित मूत्तिपूजा में जहां तक हम ने पहिले से समय गंवाया, वही बहुत हुआ। इस से वे अचम्भा करते हैं, कि तुम ऐसे भारी लुचपन में उन का साथ नहीं देते, और इसलिए वे बुरा भला कहते हैं। पर वे उस को, जो जीवतों और मरे हुओं का न्याय करने को तैयार हैं, लेखा देंगे। क्‍योंकि मरे हुओं को भी सुसमाचार इसी लिए सुनाया गया, कि शरीर में तो मनुष्यों के अनुसार उन का न्याय हो, पर आत्मा में वे परमेश्वर के अनुसार जीवित रहें। सब बातों का अन्‍त तुरन्‍त होनेवाला है, इसलिए संयमी होकर प्रार्थना के लिए सचेत रहो।
    १ पतरस ४:२-७